Paroles
एक मोटा हाथी चलता धीर-धीरे,
जंगल में गूंजे उसकी आवाजें अजीब।
उसकी पीठ पर सूरज की किरणें छितरीं,
वो सैर करता, अपनी दुनिया में अजनबी।
हाथी की त्वचा, कठोर और मोटी,
पैरों में बस बसी एक गहरी शक्ति।
हाथी की सूंढ़ लहराती बड़ी प्यारी,
जंगल की हर चीज़ से है उसे सवारी।
वो घूमता रहता जंगल के रास्ते,
हर कदम पर एक नया सपना बनाता है।
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